रास्ते और मंजिल - a podcast by Mehak Kalra

from 2019-11-26T06:28:58

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ये रास्ते और मंजिल दोनो एक ही कहनी के दो पहलू हैं, लेकिन फर्क बस इत्ना है, कि मंजिल हमारी जिंदगी में कुछ ज्यादा अहमियत रखते हैं और मंजिल कुछ कम। मंजिलों को हम सभी चाहते हैं उअर रास्तों को कुछ कम, इसीलिए मंजिल हमारी जिंदगी में कुछ overrated हैं और रास्ते कुछ underrated। इस कविता में मैने इसी imbalance को कुछ balance करने की कोशिश की है। उम्मीद है आप सभी को पसंद आयेगी।

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